शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

तमाम उम्र ज़िंदगी से दूर रहे;

तमाम उम्र ज़िंदगी से दूर रहे;
तेरी ख़ुशी के लिए तुझसे दूर रहे;
अब इस से बढ़कर वफ़ा की सज़ा क्या होगी;
कि तेरे होकर भी तुझसे दूर रहे।

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